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Posts Tagged ‘प्राकृत चारुत्वम्’

खंधग्गिणा वणेसुं तणेहि गामम्मि रक्खिओ पहिओ |

णअरवसिओ णडिज्जइ साणुसएण व्व सीएण ||गाहासत्तसई १.७७||

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(सर्दियों में गाँव से शहर को चला है प्रवासी!)

जंगलों में तो लकड़ी के बोटों की आग से

गाँव में तिनकों और भूसों की आग से उसने अपने को बचा लिया।

लेकिन शहर में ठंड ने उसे दबोच लिया। जैसे अब तक किसी तरह बच जा रहे अपने शिकार से उसे ईर्ष्या हो रही थी।

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रानात मुक्काम होता तेव्हा ओंडक्यांच्या धगीने व खेड्यांत आला तेव्हा गवताच्या शकोटीने पथिकाने थंडीपासून स्वतःचे रक्षण केले. परंतु जसा तो या नगरात आला तसा आतापर्यंत आपल्या तडाख्यातून सुटलेल्या शिकारी प्रमाणे इरेला पेटून रागावलेल्या थंडीने त्याला त्रस्त केले. (जोगळेकरानुसारी मराठी भाषान्तर) Sandeep Joshi

बाहर की फ़ोटो हो सकती है

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प्राकृत भाषाएँ हमारी आधुनिक भारतीय भाषाओं की माँएँ हैं। प्रस्तुत शोध प्राकृत भाषा में निबद्ध समृद्ध काव्य परम्परा की मौलिक विशेषताओं को पहचान कर उपस्थापित करने का एक विनम्र प्रयास है। यह अनुसन्धान प्राकृत काव्यालोचन के उन विशिष्ट भाषिक अभिलक्षणों पर केन्द्रित है जो अब तक ठीक तरह से प्रस्तुत नहीं हो सके हैं। इस कार्य में प्राकृत काव्य सौन्दर्य के भाषिक आधार का एक सुव्यवस्थित ढाँचा सामने रखा गया गया है।

शोध के क्रम में भारतवर्ष की चिरन्तन भाषिक चर्या तथा इसकी समाजभाषिकी विषयक प्रचलित धारणाओं पर आधारभूत तथ्यों तथा मूल सामग्री के आलोक में सप्रमाण विचार भी किया गया है। शोध के अन्तर्गत प्राकृत भाषा तथा साहित्य से सम्बन्धित नव-नवीन शोध की दिशाएँ भी प्रकाशित होती हैं। साथ ही परिशिष्ट के रूप में प्राकृत भाषा में २२ काव्य ग्रन्थों से ९२९५ पद्यों में से १५६१ सुन्दरतम पद्यों को चुनकर उन्हें संस्कृत छाया के साथ संगृहीत किया गया है। यह इस शोध कार्य की अतिरिक्त उपलब्धि है।

अध्येता के रूप में भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान में यह मेरी तीसरी और अन्तिम प्रस्तुति है। अलंकार आदि संस्कृत शास्त्रों के विद्वान् तथा प्राकृत के मर्मविद् डॉ॰ Umesh Nepal जी सत्र की अध्यक्षता करेंगे।

इस चर्चा में जुड़ने के लिए कड़ी है–https://www.facebook.com/IIAS.shimla

सुन्दर पोस्टर के लिए Gaurav जी को धन्यवाद!

2 लोग और वह टेक्स्ट जिसमें 'भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान प्रस्तुति: प्राकृतकविता के चारुत्व के भाषिक आधार तिथि-१२.०१.२०२२, समय-११.०० बजे पूर्वाह डॉ. बलराम शुक्ल (अध्येता, भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान) वार्तालाप शामिल होने https://w.facebokcom/l.shima/ अध्यक्षता- डॉ. उमेश नेपाल (जगदूरु रामानन्दाचाये संस्कृत विष्वविघालय, जयपुर)' लिखा है की फ़ोटो हो सकती है

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भारत की सनातन भाषिक-चर्या तथा प्राकृत

https://www.youtube.com/watch?v=4vhKKRVq9U0

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